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Rutha Parinda

By Akhtar ali Idrishi / 0 Comments /Posted On 21st March, 2021

दिल के दरिया में धड़कन की कश्ती है, ख़्वाबों की दुनिया में यादों की बस्ती है, मोहब्बत के बाजार में चाहत का सौदा है, वफ़ा की कीमत से तो बेवफाई सस्ती है। मिला के खाक में दिल को वो इस अंदाज़ में बोले, मिट्टी का खिलौना था, कहाँ रखने के काबिल था। ये बेवफा वफा की कीमत क्या जाने, है बेवफा गम-ऐ-मोहब्बत क्या जाने, जिन्हें मिलता है हर मोड़ पर नया हमसफर, वो भला प्यार की कीमत क्या जाने। आज तुम्हारी याद ने मुझे रुला दिबेवफा कहने से पहले मेरी रग रग का खून निचोड़ लेना, कतरे कतरे से वफ़ा ना मिले तो बेशक मुझे छोड़ देना।या, क्या करूँ तुमने जो मुझे भुला दिया, न करते वफ़ा न मिलती ये सजा, मेरी वफ़ा ने तुझे बेवफा बना दिया। कैसी अजीब तुझसे यह जुदाई थी कि तुझे अलविदा भी ना कह सका, तेरी सादगी में इतना फरेब था, कि तुझे बेवफा भी ना कह सका। अच्छा होता जो उस से प्यार न हुआ होता, चैन से रहते हम जो दीदार न हुआ होता, हम पहुँच चुके होते अपनी मंज़िल पर, अगर उस बेवफा पर ऐतबार न हुआ होता। वफा की तलाश करते रहे हम बेवफाई में अकेले मरते रहे हम, नहीं मिला दिल से चाहने वाला खुद से ही बेबजह डरते रहे हम, लुटाने को हम सब कुछ लुटा देते मोहब्बत में उन पर मिटते रहे हम, खुद दुखी हो कर खुश उन को रखा तन्हाईयों में साँसें भरते रहे हम, वो बेवफाई हम से करते ही रहे दिल से उन पर मरते रहे हम। मोहब्बत से रिहा होना ज़रूरी हो गया है, मेरा तुझसे जुदा होना ज़रूरी हो गया है, वफ़ा के तजुर्बे करते हुए तो उम्र गुजरी, ज़रा सा बेवफा होना ज़रूरी हो गया है।

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