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Hay Teri Mohabbat Tod Diya Dil

By Akhtar ali Idrishi / 0 Comments /Posted On 10th April, 2021

सोचा था तड़पायेंगे हम उन्हें, किसी और का नाम लेके जलायेगें उन्हें, फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा, तो फिर भला किस तरह सताए हम उन्हें। दिन हुआ है, तो रात भी होगी, मत हो उदास, उससे कभी बात भी होगी। वो प्यार है ही इतना प्यारा, ज़िंदगी रही तो मुलाकात भी होगी। वो बिछड़ के हमसे ये दूरियां कर गई, न जाने क्यों ये मोहब्बत अधूरी कर गई, अब हमे तन्हाइयां चुभती है तो क्या हुआ, कम से कम उसकी सारी तमन्नाएं तो पूरी हो गई। अब तो वफ़ा करने से मुकर जाता है दिल, अब तो इश्क के नाम से डर जाता है दिल, अब किसी दिलासे की जरूरत नही है, क्योंकि अब हर दिलासे से भर गया है दिल। मंजिल भी उसकी थी, रास्ता भी उसका था, एक मैं ही अकेला था, बाकि सारा काफिला भी उसका था, एक साथ चलने की सोच भी उसकी थी, और बाद में रास्ता बदलने का फैसला भी उसी का था। चिंगारी का ख़ौफ़ न दिया करो हमे, हम अपने दिल में दरिया बहाय बैठे है, अरे हम तो कब का जल गये होते इस आग में, लेकिन हमतो खुद को आंसुओ में भिगोये बैठे है। कोई मिला ही नही हमे कभी हमारा बन कर, वो मिला भी तो हमे सिर्फ किनारा बनकर, हर ख्वाब बन कर टुटा है यहां, अब बस इंतज़ार ही मिला है एक सहारा बन कर। हम जानते है आप जीते हो जमाने के लिए, एक बार तो जीके देखो सिर्फ हमारे लिए, इस नाचीज़ की दिल क्या चीज़ है, हम तो जान भी देदेंगे आप को पाने के लिए। वफ़ा का दरिया कभी रुकता नही, मोहब्बत में प्रेमी कभी झुकता नही, किसी की खुशियों के खातिर चुप है, पर तू ये न समझना की मुझे दुःखता नही।

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