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Earning Money Is Simple But Not Easy ( पैसा कामना सरल है किंतु आसान नही )

By / 0 Comments /Posted On 26th February, 2021

क्या आप ने सोचा है, कुछ लोग मुठी भर भर के पैसे कमाते है, तो कुछ लोग बड़ी मुश्किल से अपनी परिवार की जरूरत पुरी कर पाते है। हैरानी की बात यह है कि अधिकांश लोग (लगभग70%- 80% की आबादी) दूजे वर्ग में आते है। दूसरी भाषा मे हम कह सकते है कि 20-30 % लोगों के पास पैसे बड़ी आसानी से आती है। उलट, 70-80% लोग पसे के लिए कड़ी मेहनत तो करते है, फिरभी पैसे उनके पास उस मात्रा में नही आपाती जिस मात्रा में आना चाहिए ।
 
क्या कोई जादू है, या किस्मत का दोष है, या फिर किसी प्रकार का पैसे के प्रति चुम्बकीय सक्ति?
 
यह असमान इस्थिति तब है जब प्रकृति ने हमे इस धरती पर हर चीज मुप्त में दे रखी, है - सूर्य हवा पानी धरती , पेड़ पैधे, वनस्पति, अनाज, कोयला, सोना चांदी, खनिज, इत्यादि। बस धैर्य पूर्वक श्रमिक मेहनत करनी पड़ती है उसे हासिल करने केलिए।
 
यह प्राकृतिक संसादन  हर लोगो के लिए एक  समान उपलब्ध होना चाहिए, लेकिन , हमारी अर्थ वयस्था में इस कि उपलब्धता बिल्कुल ही समान नही है। आखिर कियूं?
 
आम भाषा में कहे तो इस संसादन को करीब 30% लोग अपनी मर्जी अपनी इच्छा अनुसार  इस्तेमाल कर रहे है और कन्ट्रोल भी। एसा नही है कि किन्होंने उन 70% लोगों के ऊपर  किसी प्रकार का प्रतिबंद्ध लगा रखा हो।
 
संसादन तो सब के लिए बराबर है जो कि  सीमित मात्रा में है। लेकिन हमारी मांग असीमित। यह असीमित मांग ही हमारी अर्थ व्यस्था में विसंगतियों को पैदा करती है।
 

प्रतिस्पर्धा-  खुला अर्थ बाजार में हर कोई एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहा है। इस का मतलब जिस मूल्य पे आप अपना सामान अथवा सेवाएं प्रदान कर रहे है, कई और लोग भी है जो कि इस मूल्य या इस से कम कीमत पे अपना समान या सेवाएं प्रदान करने को राजी है। लोग स्वाभाविक रूप से स्वार्थी होते हैं और परिणामस्वरूप बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है।

मूल्य वृद्धि- किसी भी समान या सेवाएं में निरन्तर मूल्य वृद्धि (वॅल्यू अडिशन) जिससे उसकी कीमत निर्धारित हो एक कठिन काम है।
 
गतिशील  बाज़ार-हमारा बाजार गतिशील है। गतिशील  बाज़ार के बदलते प्राथमिक्ता और ग्राहकों की आवश्यकता पूरा करना बाजार प्रतिभागियो के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य हो जाता  है।
 
उपरोक्त कारक तो हर कोई के लिए एक समान है। तो क्या जो अधिकांश 70% लोग है , इस गतीसील दुनिया मे अपने आप को आयोग साबित कर रहे है? ऐसा बिल्कुल भी नही है।
 
बुनियादी फर्क उनकी सोच में है। सोच से कार्य संचालित होता है। अधिकांश लोग यहीं अपनी छमता को निखार नही पाते है।
 
पैसे कमाने के लिए निरंतरता के साथ इंगेजमेंट,ज़ील और सिस्टेमेटिक एप्रोच के साथ काम करना होगा। यही मूल मंत्र  है जो उन 30% लोगो को 70% लोगो से  अलग करती है। 
 

 एंगेज्मेंट  (Engagement)

आपका  व्यवसाय हो या  फिर कोई काम  वाग्दान (एंगेज्मेंट )  से सम्पन होता है। जितना ज्यादा वाग्दान होगी उतना ज्यादा आप अपने व्यपार /जॉब में सफलता पाएंगे। सफलता से पैसे की आवाहक बढेगी।
 

 उत्साह ( Zeal )

आप के अंदर उत्सुकता- रोमांच होना  बहुत जरूरी है। परिस्थिति कैसी भी हो, हर पल को उत्सुकता के साथ आदर पूर्वक वाहन करे/निर्वाह करे। मैं यहाँ आवेगशील उत्सुकता की बात नही कर रहा।(आवेगशील उत्सुकता और भी विनाशकारी होती है) उत्सुकता ही आपकी आत्मविस्वास को बनाए रखती है। और आप हर काम मे सफलता के नजदीक आसानी से पहुच जाते हैं। 

 

व्यवस्थित सोच ( Systematic Approach)

कोई भी  काम को व्यवस्थित ढंग से करने से आसानी से सफलता हासिल किया जासकता है। अक्सर हम अपने आप को  "मंकी माइंड" (विचारों की भीड़ से भरा बंदर की तरह उछल-कूद मचाने वाला दिमाग) कि परिस्थितियों  में खोया हुआ पाते है और हम अपने लक्ष्य से भटक जाते है।
 

 निरर्तर्ता ( Perseverance)

"सफलता" रातोंरात नहीं होती।यह एक धीमी प्रक्रिया है जिसके लिए कड़ी मेहनत निरंतर प्रयास रत और रणनीतिक सोच की आवश्यकता होती है।
 

नियंत्रण (Control)

किसीभी काम मे गलतिया होने की संभाबना होती है  किन्तु उसपे तुरंत नियंत्रण कर के आगे बढ़ने में ही लाभ होता है। गलतियों को ठीक न करना एक बड़ी कुप्रबन्ध है। इसका परिणाम बहुत हानिकारक होता है। 
 
अन्तः एक बार फिर से कहूंगा कि हम लोग उपरोक्त 5 मूल मंत्र को अपने दिनचर्या कार्य श्याली का हिसा बना ले तो सफलता, पैसा, नाम हमारी कदम चूमेगी।

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