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Dil Ne Fir Usko Yand Kiya

By Akhtar ali Idrishi / 0 Comments /Posted On 18th April, 2021

सदियो से इक सपना है, कहो पुर करोगे तुम ..? भूल जौ मेरे सिवा सब कुच, कहो आइसा करोगे तुम ..? न कुच या तमना अब, के आधार मेरे हो जाऊ तुम, कभी ना कभी, कहो आइसा करोगे तुम ..? फ़क़त इक लफ़्ज़ सुन्न को, केइ बारसन से तरसी हू, मुजे आप बन लो, कहो आइसा करोगे तुम .. बंद होठो से कुच न काह ।। आंखो से प्यार जताती हो ।। जब भी आती हो हम को हमसे चुरा के ले जाति हो? मेरी आँखों में झाँकने से पहले जरा सोच लीजिये ऐ हुजूर... जो हमने पलके झुका ली तो कयामत होगी...। और हमने नजरें मिला ली तो मुहब्बत होगी...। रिशते किसि से कुछ यू निभा लो। की दिल उनके सारे गम चुरा लो इतना असर छोड दो केसी पर अपना। के हर कोइ कहे हमे अपना बाना लो। ऐ दिल तू धड़कन बंद कर। जब जब तू धड़कता है तो तब् उसस्की याद है। वो तो खुश है अपना दुनिया में? जान तो पाल पाल हमरी जाति है। तुम दुर हो मगर दिल मैं ये अहसास होता है। कोइ है जो हर पल दिल के पास रहता है। याद सब की आती है मागर। तुमारी यादो का एहसास है कुछ खास होत हे। तेरी धड़कन ही ज़िंदगी का किस्सा है मेरा, तू ज़िंदगी का एक अहम् हिस्सा है मेरा.. मेरी मोहब्बत तुझसे, सिर्फ़ लफ्जों की नहीं है, तेरी रूह से रूह तक का रिश्ता है मेरा..!! सिर्फ इशारे में होति मोहब्बत अगर, इन लफज़ोन को ख़ूबसूरती कौन देता ? बास पथर बान के रह जाता ताजमहल ’, आगर इश्क इस्से आपनी पेहचान न देता।

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